Friday, October 28, 2011

आइ भरदुतिया, सामा चकेवा सेहो शुरु


जनकपुरधाम, कार्तिक ११ । हिन्दूसबहक भाइ बहिनक पबित्र पावनि भरदुतिया आइ मिथिलान्चल सहितक नेपाल भारतक बिभिन्न स्थानमे आइ मनाओल जाऽ रहल अछि । आइ परम्परा अनुसार दिदीबहिनीसब अपन भाइ तथा भैयाके सुख, समृद्धि एवम् दीर्घायुके कामना करैत भाइ भैयाके टिका लगाबि रहल अछि ।

भरदुतियाके भैयादुज सेहो कहल जाइत छैक । भरदुतियाक लेल आजुक शुभ समय  ११ बाजि कऽ ५५ मिनेटसँ सुरु भेल आ सूर्यास्तधरि टीका लगाबय सकयके नेपाल पञ्चाङ्ग समिति जनौलक अछि ।

मिथिलान्चलमे आजुक दिन बहिनसब भैया तथा भाइके हाथमे पिठार सिन्दुर लगाकऽ हातमे पान सुपारी पैसा रखैत जलसँ हात नौतति अछि । नौतऽ  काल माथमे टिका लगा कऽ दिदी बहिनसब भाइके औरदाके लेल गँगा नौते जमुनाके हम नौतैछी भाइके । जहियातक  गँगामे जल रहेय तहिया तक भाइके औरदा रहेय कहैत नौतल करैत अछि । तकरबाद अपन इच्छाशक्तिके अनुसार भाइसब बहिनके उपहार देबयके परम्परा रहल अछि ।

अहिना ओम्हर पहाडी समुदायमे विधिअनुसार मण्डप बना कऽ  अष्टचिरञ्जीवीके पूजाके साथ ओइमे कहियो नहि सुखयबला तेलके घेरा लगा कऽ नहि मुरझायबला दुइभ मखमली आ सयपत्री फूलके माला, सप्तरङ्गी टीका लगा कऽ चिरायु रहयके कामना करैत अछि ।

तकरबाद दिदीबहिनसब अपन भाइ तथा भैयाके मिठाइ, फलफूल, ओखर, कटुस आ मसलाके सँगे सेलरोटी देबयके आ भैयासब अपन बहिनके इच्छाशक्ति अनुसार दक्षिणा तथा उपहार देबयके चलन रहल अछि ।

अहिबिच भाइ बहिनक पबित्र प्रेमके प्रतीकके रुपमे मनाओल जाएबला सामाचकेवा पावनिके तयारी सेहो आइएसँ विधिवत् रुपमे सुरु भेल अछि ।

दिदीबहिनसबके भाइ भैयाके दीर्घायु एवम् मङ्गल कामना करयके इ पावनिसँ एक आपसमे सम्बन्ध मधुर होयबाक धार्मिक एवम् सांस्कृतिक मान्यता रहि आएल अछि ।

खास कऽ अहि पावनिमे माटिके कलात्मक मूर्तिसब बनाओल जाइत अछि । मूर्ति बनाबय लेल भरदुतियाके  दिन माटि आनिक अहि पावनिके शुभारम्भ कएल जाइत अछि । छठि पावनिके खरनासँ मूर्ति बनाबयके काज सुरु भेलाबाद समा चकेवा खेलैत कात्तिक पूणिर्माके मध्यरातिमे इ पावनिके समाप्ति कएल जाइत अछि ।

 माटिसँ बनाओल गेल मानव, पशु आ चराके मूर्तिसब काँचे अवस्थामे रहैत अछ तऽ ओइके सामाआ आगिमे पकाओल गेल मूर्तिके चकेवाकहल जाइत अछि ।

समा चकेवा बनिगेलाबाद दिदिबहिनसब प्रत्येक साँझ सँगे बसिकऽ अपन अपन डाला लऽ गित गबैत इ पावनि मनबैत अछि ।

भगवान् कृष्ण आ जाम्बवतीके बेटीके नाम सामा छल । भगवान् कृष्णके श्रापके कारण शकुन्त चरा भेलाबाद साम्बके पुनः मानव योनीमे घुराबय सामाके भाइ साम्ब सफल भेलासँ याद स्वरुप इ पावनि मनाओल जाइत अछि ।


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