जनकपुरधाम, कार्तिक १५ । मिथिलाञ्चलके पवित्र पावनि छठि विधि विधान सहित नेपाल भारतक बिभिन्न ठाममे मनाओल जाऽ रहल अछि ।
परिबारक सुख, शान्ति, कल्याण, आ रोगसँ मुक्ति तथा बिभिन्न मनोकामना पुरा होबक जनबिश्वासक साथ श्रद्धा भक्ति पुर्बक छठि पाबनि मनाओल जाईत अछि।
अहि पावनिके शुरुवात मुख्य रुपसँ २ दिन आगुएस होइतो ‘सझुका अर्घसँ’ शुरु कएल गेल पुजासँ छठिक शोभा बढैत अछि । आइ साँझ डुबैत सूर्यके अर्घ्य दऽ छठि मनाओल जाऽ रहल अछि । आई सौंझका अर्घ दिन डुबैत सुर्यके ठकुवा, भुसबा, केरा, सहितक मिष्ठानसभके अर्घ देल जाएत तऽ काल्हि उगैत सुर्यके अर्घ देल जाएत ।
मूल पूजा आइ सॉझसँ सुरु होइतो बितल रातिएसँ श्रद्धालुसबहक पवित्र घाटसबमे जाएके क्रम शुरु भऽ चुकल अछि । भिन्सर आठ वजेधरि जनकपुरक गंगासागर, धनुषसागर, अंगराजसर, दशरथ तलाव सहितक पोखरिसबहक घाटसब भरि गेल छल ।
४ दिवसीय छठि पूजाके चारिम दिन काल्हि भिन्सर उगैत सूर्यके अर्घ्य दऽ इ पावनिक समापन हाएत । पावनिके पहिल दिन व्रती महिला पुरुष पवित्र जलाशयमे स्नान कऽ अरवा अरवाईन खएने छल । अहिना काल्हि दिन भरि उपवास रहि साँझमे मिठासँ बनल खीर पुरीक प्रसाद चढा परिवार सहित खएने छल । जाहिके स्थानीय भाषामे खरना सेहो कहल जाइत अछि । खरनाक बाद निराहार रहल व्रतालुसब काल्हि भिन्सर उगल सूर्यके अर्घ्य दऽ छठिके कथा श्रवण कऽ अन्नजल ग्रहण करत ।
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