साउन ४, नगिना झा । साउन मास कृष्ण पक्षक पञ्चमी तीथी अर्थात आजुक दीनसँ मिथीलान्चलमे मधुश्राबणि मनाओल जाऽ रहल अछि।
अई पावनिमे खास कऽ नाग देवताके दुध आ धानक लावा च्ढाक पूजा कयल जायत अछी ओना त मीथीलामे नागपञ्चमी कृष्ण आ शुक्ल पक्षक पञ्चमि क दु दीन मनाओल जायत अछी ताहीस पहील दीनक नागपञ्चमी के मोना पञ्चमिक नामस सेहो जानल जायत अछि।
क्रिृष्ण पक्षक पन्चमी कीछ समुदायमे सीमीत अछी त दोसर साउन मास पञ्चमी शुक्ल पक्ष पञ्चमी तीथी नेपाल लगायत भारतमे सेहो मनाओल जायत अछि।
अही दीन घरक दावा आ चोउखैटपर गाइके गोबरसँ नाग-नागीनक अर्थार्त बीशहरीक प्रतीबीम्ब बनाओल जायत अछी आ बिशेष पकवानक रुपमे खीर आ घोउरजाउरक बिशेष महत्व अछि। तहीन नीम आ नेमोक बिशेष स्थान रहैत अछि।
ई दीनक मीथीलामे वीशेश महत्व होयबाक दोसरौ कारण अछी। मधुश्रवनीक पहील दीन।खासक मैथील समुदायक ब्रह्मन, कायस्थ आ राजापुतमे प्र प्रचलीत ई पावनी कृष्ण पक्षक नाग्-पञ्चमी स शुक्ल पक्ष त्रीतीयाधरी मनाओल जायत अछी।
honey-moon period of maithil नामस चीन्हयबला ई पाबनी नव वीबाहीता लेल बीशेश महत्व राखल जायत अछी। सासुरस आओल नव साडी आ गहना सँ सु-सज्जीत भ नाग देवताक बिशेष पूजा सँगही १३ दीनधरी एहीस सम्बन्धीत कथा आ बीनी सुनबाक कार्य करैत छथी। सँगही सबदीनक पूजास पहील दीन साँझ अपन सङीनीसभ सँगे पूजा लेल फूल लोढ्हा जयत छथि। ताही समयमे मीथीलामे प्रचलीत बिविध पारम्परीक गीतनाद सेहो गाओल जाईत अछि।
No comments:
Post a Comment